
Balrampur News नेपाल सीमा पर फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर आधार कार्ड तैयार करने वाला गिरोह बेनकाब,
नेपाल सीमा पर फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर आधार कार्ड तैयार करने वाला गिरोह बेनकाब, 11 आरोपी गिरफ्तार
बलरामपुर (Balrampur ) | नेपाल सीमा से सटे संवेदनशील जिलों में फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए आधार कार्ड बनाने वाले संगठित गिरोह का बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और बड़ी संख्या में लैपटॉप, स्कैनर, फिंगरप्रिंट डिवाइस, प्रिंटर, वेबकैम सहित अन्य उपकरण बरामद किए हैं।
गिरोह में शिक्षामित्र भी शामिल, आधार बनाने के लिए पासवर्ड का दुरुपयोग
इस गिरोह में सिद्धार्थनगर जिले का शिक्षामित्र महेंद्र मिश्र और उसका सहयोगी गिरजेश चौधरी भी शामिल है। महेंद्र मिश्र को बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों के आधार कार्ड बनाने और अपडेट करने के लिए आईडी और पासवर्ड मिला था, जिसका वह फर्जी प्रमाणपत्रों के माध्यम से अवैध रूप से इस्तेमाल कर रहा था।
गुप्त सूचना पर हुआ खुलासा, फर्जी प्रमाण पत्रों से बनते थे आधार कार्ड
हरैया सतघरवा क्षेत्र के भड़सहिया में स्थित पाठक जनसेवा केंद्र में फर्जी आधार कार्ड बनाए जाने की सूचना पुलिस अधीक्षक (एसपी) को मिली थी। जांच में पुष्टि हुई कि केंद्र संचालक दिनेश पाठक फर्जी दस्तावेजों पर आधार और अन्य प्रमाणपत्र बना रहा था। जब पुलिस ने इस मामले की तहकीकात आगे बढ़ाई, तो इस गिरोह की जड़ें अन्य जिलों तक फैली मिलीं।
फर्जी आधार कार्ड के अलावा अन्य दस्तावेज भी बनाते थे आरोपी
जांच में सामने आया कि गिरोह सिर्फ आधार कार्ड ही नहीं, बल्कि निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र भी फर्जी तरीके से बना रहा था। आरोपी आधार बनाने के लिए पूरे सिस्टम को हाईटेक तकनीकों से ऑपरेट करते थे।
सिलिकॉन फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैनर से होता था लॉगिन
आरोपियों ने सिलिकॉन फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैनर के जरिए असली ऑपरेटर के नाम पर लॉगिन कर आधार कार्ड बनाना शुरू किया। अगर कहीं कोई दिक्कत आती, तो वे एनी डेस्क सॉफ्टवेयर के जरिए दूर से ही सिस्टम का एक्सेस लेकर एक्सपर्ट की मदद लेते थे। इसके लिए नेटिव एप का इस्तेमाल किया जाता था, जो लॉगिन करते ही आधार अपडेशन और क्रिएशन की वेबसाइट को एक्सेस करने की सुविधा देता था।
तीन मुकदमे दर्ज, 11 आरोपी गिरफ्तार
गहन जांच के बाद हरैया सतघरवा थाना प्रभारी निरीक्षक अभिषेक सिंह ने तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए और 11 लोगों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपियों की सूची:
- मुकदमा-1:
- मुकदमा-2:
- दिनेश पाठक (पदुमचक्की, भितवरिया, बलरामपुर)
- प्रदीप पाठक (बलरामपुर)
- संतोष गुप्ता (सिद्धार्थनगर)
- सुनील यादव (सिद्धार्थनगर)
- मुकदमा-3:
- विनोद गिरि (सिद्धार्थनगर)
- गुलरिहा हिसामपुर (हरैया)
एसपी विकास कुमार ने बताया कि आधार प्राधिकरण से संबंधित डेटा मंगवाया गया है और आगे की जांच के बाद अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी की जाएगी।
बिना अनुमति चल रहे थे जनसेवा केंद्र
हरैया सतघरवा के पांडेय का पुरवा, भड़सहिया और गुलरिहा गांवों में स्थित तीन जनसेवा केंद्र बिना प्रशासनिक अनुमति के संचालित किए जा रहे थे। इन केंद्रों पर नेटिव एप इंस्टॉल कर अवैध तरीके से आधार कार्ड और अन्य प्रमाणपत्र तैयार किए जा रहे थे।
एसपी ने बताया कि नेटिव एप के जरिए लॉगिन करने पर आधार क्रिएशन और अपडेशन की वेबसाइट खुल जाती थी। इस पूरे मामले की जांच में साइबर विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
फर्जी आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र बरामद
पुलिस को जनसेवा केंद्रों से कई फर्जी आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र मिले हैं। इनमें निम्नलिखित नामों के आधार कार्ड शामिल हैं:
- हीरालाल
- छोटकउ
- दुखराम
- सहाबुद्दीन
- मालिकराम
- कल्लू
- अनिल कुमार
- दिलीप कुमार
- आसमीन
- मतई उर्फ धर्मराज
- भारत लाल
- मो. नसीम
- अनीस
इसके अलावा, आधार कार्ड बनाने के लिए 15 आवेदन पत्र और आधार अपडेट के लिए 11 आवेदन पत्र भी जब्त किए गए।
नेपालियों के भी बनाए जा रहे थे आधार कार्ड?
एसपी विकास कुमार ने बताया कि गिरोह के पास ऐसी तकनीक और संसाधन थे, जिससे वे किसी का भी आधार कार्ड बना सकते थे। आशंका जताई जा रही है कि आरोपियों ने नेपाल के नागरिकों के भी फर्जी आधार कार्ड बनाए हैं।
गिरोह के पास से डमी फिंगरप्रिंट तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता था, जिससे वे ऑनलाइन आधार सत्यापन प्रक्रिया को आसानी से धोखा दे सकते थे।
पुलिस द्वारा बरामद सामग्री:
- 14 लैपटॉप
- 09 प्रिंटर
- फिंगरप्रिंट स्कैनर
- डमी फिंगरप्रिंट डिवाइस
- वेबकैम और आईडी स्कैनर
- लेमिनेशन मशीन
एसपी ने बताया कि जांच अभी जारी है और इसमें और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है और जल्द ही फर्जी आधार कार्ड बनाने के इस बड़े रैकेट पर पूरी तरह शिकंजा कस दिया जाएगा।
निष्कर्ष
फर्जी आधार कार्ड बनाने वाला यह गिरोह नेपाल सीमा से सटे जिलों में काफी समय से सक्रिय था। शिक्षामित्र से लेकर जनसेवा केंद्र संचालक तक इस संगठित अपराध में शामिल थे। डिजिटल फर्जीवाड़े की मदद से वे सरकारी पहचान पत्रों को अवैध तरीके से तैयार कर रहे थे, जिससे कई तरह के अपराधों को बढ़ावा मिलने की आशंका थी।
पुलिस की सख्त कार्रवाई के चलते इस गिरोह का भंडाफोड़ हो गया और 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। हालांकि, मामले की जांच अभी जारी है और पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है।
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